जम्मू-कश्मीर। घाटी में दस साल बाद विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही सभी पार्टियों के नेता सक्रिय हो गए हैं। एक ओर जहां स्थानीय नेताओं को इस घोषणा की उम्मीद चुनाव आयोग से नहीं थी, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से हुई घोषणा ने सभी स्थानीय कश्मीरी नेताओं को चौंकाया है।
विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के दिग्गज नेता उमर अब्दुल्ला ( Omar Abdullah) ने बड़ा ऐलान कर दिया है। उमर ने अपने ताजा बयान में कहा है कि चुनाव में अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का जो दर्जा केन्द्र सरकार ने छीन लिया था, हमारा पहला कदम होगा कि इस संबंध में केन्द्र के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगे।
उमर ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने के साथ-साथ लोगों से छीने गए अधिकारों के लिए संघर्ष करने पर भी जोर दिया है। उमर ने कहा है कि भारत के बाकी हिस्सों को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह बताना होगा कि कश्मीर के लोग सहमत नहीं है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कुल 114 सीटों में से 90 पर विधानसभा चुनाव तीन चरणों में आयोजित करवाए जा रहे हैं। 18 और 25 सितंबर के अलावा 1 अक्टूबर को भी यहां मतदान होगा और 4 अक्टूबर को परिणाम जारी हो जाएंगे। इधर उमर अब्दुल्ला ने इस बडेÞ मुद्दे को हवा देते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर को तुरंत विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया, तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस अवसर पर उमर ने जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा को अयोग्य बताते हुए कहा है कि उप-राज्यपाल के पास जो शक्तियां हैं वो एक निर्वाचिक सरकार और एक मजबूत मुख्यमंत्री होने के बाद इन शक्तियों का वह इस्तेमाल नहीं कर सकते।
उमर की इस मांग के साथ ही यहां यह भी चर्चा करना वाजिब है कि बीते साल दिसंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की बेंच ने केन्द्र सरकार के धारा 370 को हटाने के फैसले का समर्थन किया था। लेकिन साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा वापस देने के निर्देश भी दिए थे।