नौकरी, कारोबार और एंटरप्रेन्योरशिप के लिए ट्रेनिंग की चर्चाएं तो हम अकसर सुनते हैं, लेकिन विधायकों की ट्रेनिंगके चर्चे कम ही होते है। होते हैं, तो कमाल के होते हैं। अनुभव, नियम, शक्ति, संसाधन और सरकारी मशीनरी में विधायकी का महत्त्व ऐसे प्रशिक्षण बतलाते हैं। विधयकों के नियम कायदे, अधिकार, वर्चस्व, महत्त्व पर चर्चाएं होती हैं। ऐसी ही चर्चाएं आज राजस्थान विधानसभा में हो रही है, जिसमें विपक्ष यानी कांग्रेस के विधायक शामिल नहीं हुए हैं।
इधर भाजपा, सपा, आरएलपी, बाप समेत निर्दलीय विधायक भी विधानसभा में टे्रनिंग लेने पहुंचे हैं। टे्रनिंग के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ दिल्ली से आए और विधायकों को मंच से संबोधित किया। विधायकों को नियम कायदे बतलाए।
मैंने किरोड़ी को राज्यसभा में नहीं बोलने दिया था – धनकड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने अपना अनुभव शेयर करते हुए सदन में बताया कि कुछ समय पहले जब राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा मुझे इस्तीफा देने आए, तो मैंने स्वीकार कर लिया था। इस्तीफा देने के बाद किरोड़ी बोले मैं सदन में कुछ बोलूंगा। लेकिन मैं मौन रहा। किरोड़ी ने जैसे ही सदन में बोलना चाहा मैंने नियमों की पालना में साफ मना कर दिया कि डॉ. किरोड़ीलाल मीणा जी आप अब सदन में सदस्य नहीं हैं, इसलिए नहीं बोल सकते। इसलिए जहां नियम हों, सर्वोपरी होते हैं। उनकी पालना करना और करवाना हमारा पहला कर्तव्य होता है।
मैं गांठ नहीं बांधता – धनकड़
विधानसभा में सदस्यों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने बोला कि अंग्रेजों के समय के कानून बदल गए हैं। संसद में जब कानून बदले गए, तो वकालत के क्षेत्र से आने वाले सांसदों ने सत्रों में भाग नहीं लिया और न ही सुझाव दिए। ऐसे मामलों में वह बेहतर सुझाव दे सकते हैं। दलीय प्रतिबद्धताएं हो सकती हैं, लेकिन आसन पर बैठने वाले को सबका ध्यान रखना होता है। कई हल्की फुल्की बातें और घटनाएं हो जाती हैं, लेकिन उनकी गांठ बांधकर नहीं रखी जाती। मेरे बारे में भी राजस्थान में टिप्पणियां की गई, लेकिन मैं गांठ बांधू वह भी ठीक नहीं। यहां हर सदस्य का आचरण मर्यादित होना चाहिए।