जयपुर। राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से इसी महीने 27 और 28 जनवरी को आयोजित होने जा रही आरएएस मेंस परीक्षा को लेकर दुविधापूर्ण स्थिति बन गई है। भाजपा के 50 से ज्यादा विधायकों की सहमति, मंत्रियों का समर्थन, मुख्यमंत्री से प्रतिनिधिमण्डल की मुलाकात और धरना प्रदर्शन की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक परीक्षा आगे खिसकने के सवाल का समाधान नहीं निकल पाया है।
सरकार केवल सुझाव देने तक सीमित
राजस्थान लोक सेवा आयोग संवैधानिक संस्था होने के कारण राजस्थान सरकार आरपीएससी को केलव सुझाव भेजने में ही सक्षम है। राजस्थान सरकार आरपीएससी को निर्देशित नहीं कर सकती कि परीक्षा आगे खिसकाई जाए। इधर आरपीएससी में कांग्रेस सरकार का बनाया कमीशन है, इसलिए भी दुविधा की स्थित कही जा सकती है। अगर भाजपा की ही सरकार हो और भाजपा का ही कमीशन होता, तो संभवतया यह सब प्रक्रिया सरल हो जाती, लेकिन अब मामला सरकार के लिए भी गलफांस बन गया है।
आरएएस मेंस आगे खिसकाने को लेकर मांग क्यों?
अप्रेंटिस कह रहे हैँ कि उन्हें 90 दिन का समय और दिया जाए, क्योंकि अन्य परीक्षाओं की तुलना में इस परीक्षा में कम समय दिया गया है। जो लोग आरएएस प्री क्लीयर कर चुके हैं उनमें ऐसे बहत से अप्रेंटिस हैं, जो राजकीय कर्मचारी हैं। विधानसभा चुनावों के चलते अधिकतर राजकीय कर्मचारियों की ड्यूटी विधानसभा चुनावों में लगी हुई थी। अब उनका भी विरोध है कि उन्हें भी समय दिया जाए। इधर आरएएस प्री की उत्तर कुंजी में त्रुटियां हैं, जिसका मामला भी हाइकोर्ट में विचाराधीन है। आयोग अध्यक्ष के कार्यकाल में कई भर्तियों के पेपर आउट हो चुके हैं, जिनका जमकर विरोध भाजपा नेताओं ने विपक्ष में रहते किया भी था। साथ ही साथ आरपीएएसी की प्रिंटिंग प्रेस की भूमिका भी संदिग्ध मानी गई है। बीती सरकार में पेपर लीक में प्रिंटिंग प्रेस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए थे।
दिन में मंत्री का दुलार, रात में पुलिस का डंडा
मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और सरकार के अन्य मंत्रियों विधायकों की सहमति होने के बावजूद अभी तक आरएएस मेंस की तारीख आगे नहीं खिसक पाई है। राजस्थान विश्वविद्यालय में धरना दे रहे अप्रेंटिस कह रहे हैं कि भाजपा के पचास से ज्यादा और कुल 80 से ज्यादा विधायक सहमति जता चुके हैं और परीक्षा आगे खिसकनी चाहिए। इसी संदर्भ में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी जोश-जोश में शुक्रवार को राजस्थान विश्वविद्यालय में धरने पर पहुंच कर प्रदर्शनकारियों को सांत्वना दे आए, लेकिन देर रात सरकार के इशारे पर पुलिस आ धमकी, तो धरना दे रहे अप्रेंटिस भडक़ गए। यहां चर्चा बनी रही कि सरकार खिसकाना भी चाहती है आगे या केवल नाटक कर रही है। क्योंकि जिस नाटकीय अंदाज में पुलिस ने धरना स्थल पर आकर रात में धमकाया, तो सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रदर्शनकारी सवाल खड़े करते नजर आए।