अजमेर। राजस्थान में भाजपा सरकार के मंत्रीमण्डल में जिन नामों पर दो महीने पहले ठप्पा लगाया, गया उससे राजस्थान में भाजपा को चलाने वाले अंदर तक हिल गए थे। कई नाम उड़ गए। कईयों ने चुप्पी साध ली। राजे भी चुप हो गईं। बहुतों की उम्मीदों पर पानी फिरा, तो बहुतों को नए पंख। लेकिन अब लोकसभा में नाराज कार्यकर्ता और विधायक अपना असर छोड़ते दिखाई देने लगे हैं। आज अजमेर में भी ऐसा ही वाकया देखने को मिला। अजमेर लोकसभा प्रभारी और उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी की मीटिंग छोडक़र अजमेर दक्षिण की विधायक और पूर्व मंत्री अनिता भदेल ( Anita Bhadel ) , चली गईं। जाते-जाते उन्होंने मीडिया से केवल घीसू गढ़वाल अंदर बैठा है इतना ही कहा। साथ ही यह भी कहा कि वह संगठन स्तर पर बात करेंगी। मीटिंग भाजपा कार्यालय में दोपहर दो बजे थे और इसमें दीया कुमारी मौजूद थीं।
नेताओं के परिचय हो रहे थे, तभी घीसू गढ़वाल को मीटिंग में देखकर भदेल गुस्सा हो गईं। उन्होंने अपनी नाराजगी मंच पर बैठे भीरम सिंह को भी दर्ज करवाई और दीया कुमारी के कान में कुछ कहकर निकल गईं। बताया जा रहा है कि घीसू गढ़वाल ने विधानसभा चुनाव में अनिता भदेल को हरवाने के लिए जोर लगाया था। भदेल ने पार्टी में शिकायत भी की थी, लेकिन अब तक बगावत करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। साथ ही अब लोकसभा की तैयारियों में वह नेता भी नजर आए, जो विधानसभा में हरवाने के लिए जोर लगा रहे थे। ऐसे में एक कारण तो घीसू को माना ही जा रहा है। लेकिन एक और बड़ा कारण भदेल की नाराजगी लम्बी बताई जा रही है। माना जा रहा है कि भदेल को इस बार फिर से मंत्री बनने की उम्मीद थी, लेकिन मंत्रीमण्डल में दिल्ली से नाम तय होते-होते भदेल आउट हो गईं। उन्हें इस बात की नाराजगी थी, कि अन्याय हुआ है, मंत्री पद मिलना चाहिए था। इसीलिए अनिता भदेल अब लोकसभा में इस रूप में नाराजगी जाहिर करने से नहीं चूक रही हैं।
हालांकि भदेल ही नहीं, राजस्थानभर में भाजपा में अंदरखाने नेताओं की नाराजगी के भारी चर्चे आपस में हो रहे हैं। कुछ भाजपा नेताओं ने तो दबी जुबान यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि लोकसभा में अब तक दो बार से 25 सीटें आ रही थी, लेकिन इस बार खेल खराबा होगा, तो भजनलाल की छुटटी होगी। इन्हीं शब्दों के साथ भाजपा विधायक खेल-खराबे की तैयारियां भी अंदरखाने कर रहे हैं। देखना होगा भजनलाल सीट बनाए रखेंगे या पार्टी के भीतर ही भीतर भजनलाल का खेल खराबा करने वाले कामयाब होंगे और लोकसभा चुनावों के बाद कोई बदलाव की आहट नजर आएगी।