एक पुरानी कहावत है राजनीति में साम, दाम, दण्ड, भेद सब जायज है। जब सब जायज है, तो केजरीवाल की गिरफतारी भी जायज है, कांग्रेस के खाते फ्रीज होना भी जायज है और हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी भी जायज है। लोकसभा चुनाव का माहौल चरम पर है। हर पार्टी, नेता जहां तक संभव है इन चारों का इस्तेमाल करना चाहेगा और करे भी क्यों नहीं? भाजपा इस बार 400 पार के लक्ष्य को लेकर बहुत ही पैशनेट नजर आ रही है। इसी के बीच अपने विरोधियों को तोड़ने की हर जुगत भिड़ाई जा रही है। विरोधी भी, तो भाजपा का विरोध जता रहे हैं। लेकिन जीत हमेशा दमदार की होती है। बड़ी मछली छोटी मछली को खा ही जाती है। फिर वह लोकतंत्र ही क्यों न हो!
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ ही यह चर्चा फिर जोर पकड़ चुकी है कि ईडी मोदी सरकार के इशारों पर अरेस्ट कर रही है या काम कर रही है। लेकिन ताजा हालात में यह देश का पहला मामला बन गया है, जब कोई सिटिंग मुख्यमंत्री गिरफ्तार किया गया है। ऐसे ही हालात हाल ही तब भी बने थे, जब हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया था, सोरेन को गिरफ्तारी का अंदाजा होते ही, उन्होंने राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर चम्पाई सोरेन को आगे कर दिया। लेकिन केजरीवाल ऐसा नहीं करने वाले और जेल में रहे, तो जेल से सरकार चलाने को तैयार हैं। इस बारे में आम आदमी पार्टी की ओर से आतिशी भी घोषणा कर चुकी हैं। यानी हालात और परिस्थितियां कुछ भी रहें, मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाते हैं, तो चर्चा में बने रहेंगे। लेकिन यह भी चर्चा है कि जेल मैनुअल के अनुसार न तो कैदी मीटिंग कटेंड कर सकता है, न ही फोन कॉल कर सकता है और न ही कोई डॉक्यूमेंट साइन कर सकता है। यह रूल 1349 के रेफरेंस के हवाले से कहा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि जेल जा चुके केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए पीआईएल भी दायर की जा चुकी है।
इधर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर भी कई चर्चे सार्वजनिक हैं। पहला और सबसे अहम पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सालभर पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया जाएगा, जो सच भी साबित हुआ है। दूसरा केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के मुताबिक ऐसा कोई पुख्ता दस्तावेज ईडी के पास है ही नहीं जिसके आधार पर आरोप साबित हो रहे हों और केजरीवाल को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। बल्कि यह सह-आरोपियों और अफसरों के बयानों के आधार पर डिजाइन किया हुआ केस है। 200 से ज्यादा छापे मारने के बावजूद एजेंसी को कोई सबूत नहीं मिला है।
बहरहाल न्यायालय ने केजरीवाल को 6 दिन के रिमांड पर भेज दिया है। अब अगर इन आरोपों पर भरोसा कर लिया जाए कि ईडी मोदी सरकार के ईशारों पर काम कर भी रही है, तो मान लीजिए की केजरीवाल फिलहाल तो नहीं छूटने वाले। अब आम आदमी पार्टी भी बिखराव के दौर से गुजरेगी। केजरीवाल के पीछे से पार्टी को तितर-बितर करने के लिए भाजपा का प्लान बी भी एक्टिवेट हो चुका होगा। इधर आप के टॉप चार नेता जेल में डाल दिए गए हैं, तो लोकसभा में बिखराव आसान हो गया है। जिसका फायदा तो सीधे तौर पर भाजपा को होने वाला ही है। लेकिन यह भी संयोग नहीं कहा जा सकता कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह चारों को किसी ने किस बहाने अंदर डाल दिया गया है।
ईडी कह रही है की शराब नीति घोटाले में केजरीवाल ही किंगपिन हैं यानी रचनाकार यही हैं। कौन किस काण्ड का रचनाकार है यह समय और जनता बताएगी, लेकिन फिलहाल चुनाव सिर पर हैं, तो जवाब कौन देगा। आखरी बाजी जनता के हाथ है। जनता का जवाब आए, उससे पहले विदेशों तक में उठ चुके इस मसले पर ज्यादातर विदेशी मीडिया की राय है कि भारत में विरोधियों के खिलाफ सरकार की ओर से कार्रवाई की जा रही है। लेकिन साथ-साथ विदेशी मीडिया यह भी खुलकर कह रहा है कि सत्ताधारी पार्टी ही ऐसी क्रिया-प्रतिक्रियाओं से केजरीवाल को बड़ा नेता बना रही है। केजरीवाल की ब्रांंिडंग और इमेज बिल्डिंग हो रही है। भविष्य में वह इस घटना से ज्यादा मजबूत नजर आएंगे।
ुइधर राजनीति रोटियां जब सब सेक रहे हैं, तो अन्ना हजारे कहां पीछे रहने वाले थे। अन्ना भी केजरीवाल के गिरफ्तार होने के बाद अचानक सामने आए और कह डाला कि, अपने कर्मों की वजह से गिरफ्तार हुए हैं अरविंद केजरीवाल। अब कानून अपना काम करेगा। इधर इसरो से रिटायर्ड साइंटिस्ट 76 वर्षीय ओम प्रकाश ने कहा है कि यह देश में इमरजेंसी की स्थित है।
हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि इस लोकसभा चुनाव में भले अरविंद केजरीवाल को नुकसान होगा। उनकी पार्टी अपेक्षाकृत कमजोर रहेगी, लेकिन ब्रांडिंग अच्छी हो गई, तो एक बार फिर आगामी विधानसभा चुनाव में केजरीवाल इस घटना को भुना कर फिर फायदा ले जाएंगे।