नई दिल्ली। अबकी बार, 400 पार के नारे को बुलंद कर रही भाजपा बड़े स्तर पर टिकटों में फेरबदल की तैयारियां कर रही है। हर प्रदेश में परफॉर्मेंस, जातीगत समीकरण, राजनीतिक काट और धुवीकरण के मद्देनजर टिकटें फाइनल हो रही हैं। तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन आज इस बात के चर्चे शुरू हो गए हैं कि मोदी केबिनेट में शुमार कई मंत्रियों के टिकट कट सकते हैं। इनमें एक नाम ऊर्जा मंत्री आर.के सिंह (R K Singh) का भी आया है। बताया जा रहा है कि ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह का लोकसभा टिकट भाजपा काट सकती है। लेकिन उन्हें कंपंशेट करने के लिए अगली बार राज्यसभा के जरिए आगे लाने का प्लान किया गया है।
कौन हैं केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह
बिहार के सुपौल में जन्में और पले-बढ़े राजकुमार सिंह ब्यूरोक्रेसी में लम्बा अनुभव लेने के बाद राजनीति में उतरे। आर.के. सिंह जितने सफल ब्यूरोके्रट रहे, उतने ही सफल राजनेता भी साबित हुए। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज, मगध विश्वविद्याल और नीदरलैण्ड की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से उच्च शिक्षा ली। 1975 बैच में आईएएस बने और बिहार काडर मिला। जिला मजिस्टे्रट से लेकर बिहार के गृह सचिव और फिर केन्द्रीय गृह सचिव बनने तक का अवसर मिला।
आर.के. सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी ब्यूरोक्रेसी को अलविदा कहकर 2013 में भाजपा के साथ शुरू की। भाजपा से जुड़े और 2014 में बिहार की आरा लोकसभा सीट से चुनाव लडक़र जीते। सितंबर 2017 में उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के साथ विद्युत मंत्री के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई। आर.के. सिंह को अच्छा काम करने का लाभ मिला और जुलाई 2021 में उन्हें केबिनेट मंत्री के तौर पर पदोन्नति मिली।
ऊर्जा मंत्री के तौर पर आर.के. सिंह ने भारत में बिजली क्षेत्र में कई सुधारों की शुरूआत की है, जिसका लक्ष्य बिजली आपूर्ति को सुदृढ़ बनाने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना है। साथ ही उन्होंने उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।