बाड़मेर। विधानसभा चुनावों में अपनी छवि और वोटबैंक के जरिए मजबूत नेता की साख बना चुके उम्मेदाराम बेनीवाल के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव ट्रंप कार्ड साबित हो सकता है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से उम्मेदाराम ने न केवल बायतु और बाड़मेर में अच्छी पहचान बनाई है, बल्कि अब बेनीवाल और कांग्रेस के अलायंस होने न होने की कश्मकश में भी उनको लाभ मिल रहा है।
करीबी बता रहे हैं कि अलायंस नहीं हो, तो भी हनुमान बेनीवाल की सहमति से कांग्रेस उनकी पार्टी में सेंधमारी कर सकती है और उम्मेदाराम को लोकसभा उम्मीदवार बना सकती है। उम्मेदाराम विधानसभा 2023 में अच्छे से चुनाव लड़े थे और हरीश चौधरी के पसीने ला दिए थे। हरीश चौधरी को विधानसभा चुनाव में 76821 वोट मिले थे और उन्होंने जीत दर्ज की थी, लेकिन आरएलपी के उम्मेदाराम को 75911 वोट मिले, जो चौधर को खौफ पैदा करने के लिए पर्याप्त थे। यहां भाजपा के बालाराम मूंड तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें 51720 वोट ही मिल पाए थे।
अब मसला है बाड़मेर में कांग्रेस को भी उम्मेदाराम के रूप में मजबूत कैंडीडेट मिल सकता है। अगर उम्मेदाराम कांग्रेस से कूद जाते हैं, तो निश्चित ही सीट निकालने की ताकत में आ जाएगें क्योंकि हनुमान बेनीवाल भी बैकअप देंगे। हालांकि आरएलपी को सीधे तौर पर कोई लाभ नहीं होगा, लेकिन आरएलपी का लीडर कांग्रेस की टिकट पर संसद तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इसकी संभावना प्रबल हो जाएगी। इधर हरीश चौधरी भी उम्मेदाराम के पक्ष में नजर आ रहे हैं और वह भी चाहते हंै कि कांग्रेस उम्मेदाराम को उम्मीदवार बना कर लड़ाए, ताकि लोकसभा चुनाव यहां कांटे का हो।
देखने वाली बात है कि उम्मेदाराम ने बीते पांच सालों में दो चुनाव लड़े हैं। दोनों ही उन्होंने हरीश चौधरी को अच्छी टक्कर दी। क्षेत्र में मजबूत छवि बनाई और लोगों के साथ खड़े रहे। यह भी सही है कि आरएलपी से ही लड़ेगे, तो जीत नहीं पाएंगे। यह बात हनुमान बेनीवाल भी जानते हैं और उम्मेदाराम भी। कांग्रेस में चले जाएं, तो आरएलपी के वोट, उम्मेदाराम को पसंद करने वालों के वोट और कांग्रेस के वोट मिलाकर बात बन सकती है।
फिलहाल मामला उलझा हुआ है। धर्मसंकट में हैं, तो हनुमान बेनीवाल भी। आगे आकर कुछ कर सकते हैं, तो वह भी बेनवाल ही हैं। फिर हनुमान बनेवाल और हरीश चौधरी की अपनी अदावत भी है। लेकिन राजनीतिक अवसर ऐसे अदावतों को किनारे कर देते हैं। इसलिए संभावनाओं से इंकार भी नहीं किया जा सकता। हालांकि परिणाम कुछ भी हो, लेकिन उम्मेदाराम क्षेत्र का बड़ा चेहरा बन गए हैं और पार्टियां जिस चेहरे पर लोकसभा का विचार कर रही हों, तो निश्चित ही उस चेहरे के अच्छे राजनीतिक भविष्य के दावे भी गलियारों से जनता तक होने स्वाभाविक हैं।