जयपुर। कांग्रेस का राज क्या गया, अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) मीडिया और चर्चा दोनों से गायब हैं। इधर बेटे वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) के राजीनीतिक करियर पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भाजपाई तो वैभव गहलोत के पीछे पड़े ही हैं, कांग्रेसी भी रडक़ निकालने में कमी नहीं छोड़ रहे हैं। आज RCA के अध्यक्ष पद से लम्बे-चौड़े स्पष्टीकरण के बाद वैभव गहलोत इस्तीफा देकर बाहर हो गए हैं। लेकिन हालात और परिस्थितियों को देखें, तो वैभव का यह सम्मानजनक RCA निकाला है। क्योंकि वैभव बीते तीन दिनों की घटनाओं के बाद निर्विकल्प हो गए थे और इस्तीफा देकर निकलने में ही भलाई समझी। इससे फजीहत होने से भी बची और लोकसभा की तैयारियों के लिए भी समय निकाल पाएंगे।
कांग्रेसी भी Vaibhav Gehlot के पीछे पड़े
इधर भाजपाई ही नहीं, कांग्रेसी भी वैभव के पीछे पडऩे में कमी नहीं छोड़ रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि गहलोत खेमे के खिलाफ रहे कांग्रेसी नेता लामबंद हो रहे हैं और वैभव को लोकसभा में पटखनी दिलाने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। इस संबंध में अंदर ही अंदर बहुत कुछ हो रहा है, जिसकी चर्चा सीधे तौर पर यहां करना उचित नहीं, क्योंकि बड़े-बड़े धुरंधर कांग्रेसी अशोक गहलोत से नाराजगी, अब वैभव गहलोत से निकालने के मूड में हैं। माहौल कुछ फेवर का नजर नहीं आ रहा है। आलम यह है कि छोटे से लेकर बड़े, मझले से लेकर अदने तक सब वैभव के लोकसभा लडऩे का इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस के नेता सिद्धार्थ गहलोत को ही लें, तो मुखर होकर कह तक डाला है कि ‘अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव गहलोत को हमारे जालोर-सिरोही लोकसभा से चुनाव लड़वाने की तैयारी में हैं। अशोक गहलोत ने हमारा राजनीतिक जीवन खराब करने की पूरी कोशिश की है, अब हमारा भी परम कर्तव्य है कि इसके बेटे का भविष्य खत्म करने का। तबीयत से हराएंगे।‘
वैभव RCA से बाहर, अब आगे क्या?
बताया जा रहा है कि वैभव को बाहर का रास्ता दिखाने की प्लानिंग बीते कई दिनों से अच्छे से की जा रही थी। भाजपा नेताओं ने यह प्लानिंग इतनी जबरदस्त की, जिसमें वैभव को त्यागपत्र देने के अलावा कुछ करने लायक नहीं छोड़ा। ऐसे में वैभव ने भी चतुराई से अपने खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव की भनक लगते ही, अलविदा कह डाला। अब भाजपा के कद्दावर नेता और मंत्री गजेनद्र सिंह खींवसर के पुत्र धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को RCA अध्यक्ष बनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि धनंजय की बड़ी राजनीतिक एंट्री का यह सबसे फिट और सेफ रास्ता है। फिलहाल धनंजय सिंह नागौर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं। बताया जा रहा है कि वैभव गहलोत के अविश्वास प्रस्ताव पर 29 जिला सचिव ने हस्ताक्षर किए थे और इस पूरे खेल में धनंजय सिंह उभर कर आए हैं। इधर चुरू जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पराक्रम राठौड़ भी इन दिनों लगातार मुखर हैं और चर्चा में बने हुए हैं।
RCA मामले में गहलोत भी कूदे
वैभव गहलोत की आरसीए से विदाई गहलोत के लिए भी अपच का कारण बन रही है। अशोक गहलोत ने न चाहते हुए भी इस मामले में बयान देते हुए आज वैभव का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि, ‘हम चाहते तो MOU को बढ़ा सकते थे, लेकिन हमने इसे सामान्य प्रक्रिया समझते हुए नहीं बढ़ाया। हमने सोचा था कि रूटीन में ही ये काम हो जाएगा, हमारी सरकार में आरसीए में अच्छा काम किया, आईपीएल जैसे अंतर्राष्ट्रीय मैच लाए, अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की सोच साकार की, माहौल अच्छा बन रहा था। नई सरकार ने एमओयू नहीं बढ़ाया, राजनीतिक दबाव बनाकर कब्जा करने की कोशिश हो रही थी, इनको क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं, सिर्फ इन्हें तो कुर्सी चाहिए।‘
सोशल मीडिया पर रामेश्वर डूडी मामला उठा
सोशल मीडिया पर भी बहुत कुछ वैभव के पक्ष का नजर नहीं आ रहा। अलग-अलग कमेंट्स और पोस्ट के बीच एक्स पर राजस्थानी बाबा नामक वेरीफाइड हैंडल पर लिखा गया है, ‘एक समय था जब रामेश्वर डूडी आरसीए के अध्यक्ष बनना चाहते थे, तब उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था। एसएमएस स्टेडियम गेट के बाहर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था। समय ने करवट ली, दो दिन पहले वैभव गहलोत को आरसीए ने बाहर निकालकर ताले लगा दिए और आज उनको मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा।’
बहरहाल वैभव के लिए भी संघर्ष का दौर शुरू हो गया है। अशोक गहलोत लगातार वैभव की मैगा लॉन्चिंग प्लान कर रहे हैं और चाहते हैं कि बेटा लोकसभा जीत कर राजस्थान की राजनीति में कदम रखे, लेकिन हालात और वक्त दोनों वैभव की खिलाफत करते नजर आ रहे हैं। भाजपाईयों के साथ कांग्रेसियों में वैभव गहलोत से पिता अशोक गहलोत से जुड़ी रडक़ निकालने की मंशा भी वैभव को बड़ा नुकसान कर रही है।